जिंदगी एक फन है लम्हों को,
अपने अंदाज़ से गवांने का।
तेरे आने की जब खबर महके,
तेरी खुशबू से सारा घर महके।
जाने कितने लोग शामिल थे मेरी तख़लीक़ में,
मैं तो बस अल्फ़ाज़ में था शायरी में कौन था।
अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ,
खुद से मिलना मेरा एक शख्स के खोने से हुआ।
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