वफा की मेरे हुजूर
नजरों में आपकी दिखे
सत्ता का अब गुरूर
लहजा भी बदल गया है
अब हमसे बातचीत का
शब्दों में खालीपन दिखे
नहीं कोई रिश्ता प्रीति का
आगे ईश्वर ही कम करेगा
आपकी सत्ता का सुरूर
किससे करें उम्मीद…
किसानों की बिसात क्या है
सत्ता के जलवे जमाल में
राजनेताओं ने साथ छोड़ा
और मगन ऊंची उछाल में
कल तक रहनुमाई का जो
नेता करते रहे थे दावा
ऐलान ए जंग के बाद से वे
कहीं नजर आते न दूर दूर
किससे करें उम्मीद….
दम भरते थे जनहित रक्षा
का जो क्षेत्र में घूम घूमकर
खामोशी से सत्ता का आस्वाद
ले रहे कुर्सी पर झूम झूमकर
सुविधाओं का लुत्फ उठाने
को तो चौकस रहे भरपूर
संसद में प्रश्न पूछने का भी
उनको आया नहीं शऊर
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