Tuesday, December 8, 2020

आशिकी शायरी

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूं ख़ून-ए-जिगर होते तक
मिर्ज़ा ग़ालिब

आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
अहमद फ़राज़


आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद
बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता
दाग़ देहलवी

थी इश्क़-ओ-आशिक़ी के लिए शर्त ज़िंदगी
मरने के वास्ते मुझे जीना ज़रूर था
जलील मानिकपुरी

चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले
आशिक़ का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले
फ़िदवी लाहौरी

आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
बेवफ़ाई कभी कभी करना
बशीर बद्र

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए
अख़्तर शीरानी

शमा माशूक़ों को सिखलाती है तर्ज़-ए-आशिक़ी
जल के परवाने से पहले बुझ के परवाने के बाद
जलील मानिकपुरी

ये भी फ़रेब से हैं कुछ दर्द आशिक़ी के
हम मर के क्या करेंगे क्या कर लिया है जी के
असग़र गोंडवी

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