Saturday, December 5, 2020

सर्दी, धूप शायरी

-ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते
- उम्मीद फ़ाज़ली

-वो सर्दियों की धूप की तरह ग़ुरूब हो गया

लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह
- मुसव्विर सब्ज़वारी

-जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को
- सिब्त अली सबा

-हवा का हाथ बहुत सर्द, मौत जैसा सर्द
वो जा रहा है, वो दरवाज़े सर पटकने लगे
- साक़ी फ़ारुक़ी

-गले मिला था कभी दुख भरे दिसम्बर से
मेरे वजूद के अंदर भी धुँद छाई थी
- तहज़ीब हाफ़ी

-सूरज लिहाफ़ ओढ़ के सोया तमाम रात
सर्दी से इक परिंदा दरीचे में मर गया
- अतहर नासिक

-ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे
-राहत इंदौरी

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