जो तूम्हे खुशि मिले तो मैं जीतेजी मर जाऊ क्या
तुम हर बात पर कहति थी जा कई पानी में डूब मरो
अब हो इजाज़त तो मैं फरिश्ता बनकर उड जाऊ क्या
तेरा चाँद बनना मेरी किसमत में नहि तो ना सही
जो कह दे तू तो इस नभ में एक तारा बन जाऊ क्या
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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