Sunday, November 8, 2020

सोंधी मिट्टी मुझे बूलाती हैं

ये भीगी सोंधी मिटि मूझे बूलाती हैं जाऊ क्या
जो तूम्हे खुशि मिले तो मैं जीतेजी मर जाऊ क्या

तुम हर बात पर कहति थी जा कई पानी में डूब मरो
अब हो इजाज़त तो मैं फरिश्ता बनकर उड जाऊ क्या

तेरा चाँद बनना मेरी किसमत में नहि तो ना सही
जो कह दे तू तो इस नभ में एक तारा बन जाऊ क्या

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