Wednesday, November 18, 2020

प्रिय मिलने का वचन भरो तो !

सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ 
प्रिय मिलने का वचन भरो तो ! 

पलकों-पलकों शूल बुहारूँ 
अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ 
भँवरों पर पहरा बिठला दूँ 
कहीं न जूठी कर दें कलियाँ 
फूट पडे पतझर से लाली 
तुम अरुणारे चरन धरो तो !


रात न मेरी दूध नहाई 
प्रात न मेरा फूलों वाला 
तार-तार हो गया निमोही 
काया का रंगीन दुशाला 
जीवन सिंदूरी हो जाए 
तुम चितवन की किरन करो तो ! 


सूरज को अधरों पर धर लूँ 
काजल कर आँजूँ अँधियारी 
युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर 
बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी 
साँसों की ज़ंजीरें तोड़ूँ 
तुम प्राणों की अगन हरो तो ! 

- भारत भूषण

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