आन की हर बात पर मरो तो जिन्दगी है
आओ हम आदत ही ऐसी बना ले अब तो
हर कदम दांव पर धरो तो जिन्दगी है
ये सफर सुहाना तुम्हारा साथ होने से
पांव चांद पर धरो तो जिन्दगी है
ये मौसम ये माहौल ये धड़कते दिल
इनमें रंग अपना भरो तो जिन्दगी है
उड़े स्वप्निल पाखी आस्माँ की राह से आगे
दुनिया मुट्ठी में भरो तो जिन्दगी है.
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