Wednesday, July 8, 2009

Saajish

बादलों के दरमियान कुछ ऐसी साजिश हूई,
मेरा घर मिट्टी का था मेरे ही घर बारिश हुई|
आसमां को जहाँ जिद है बिजलियाँ गिराने की,
हमें भी वहीँ आदत है आशियाँ बनाने की||

1 comment:

Unknown said...

I LIKED IT ASUTOSH VERY MUCH