आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
अब तू ही नहीं सनम तो तेरी यादें ही सही,
इन यादों में छुपी हुई ये अँधेरी रातें ही सही,
था जिंदगी में ए दोस्त एक तेरे साथ का सहारा,
जो अब वो नहीं तो तेरे झूठे वादे ही सही…
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