Friday, September 27, 2024

ज़िंदगी की हर कहानी बे-असर हो जाएगी

ज़िंदगी की हर कहानी बे-असर हो जाएगी

हम न होंगे तो ये दुनिया दर-ब-दर हो जाएगी

पावँ पत्थर कर के छोड़ेगी अगर रुक जाइए
चलते रहिए तो ज़मीं भी हम-सफ़र हो जाएगी

जुगनुओं को साथ ले कर रात रौशन कीजिए
रास्ता सूरज का देखा तो सहर हो जाएगी

ज़िंदगी भी काश मेरे साथ रहती 'उम्र-भर
ख़ैर अब जैसे भी होनी है बसर हो जाएगी
तुम ने ख़ुद ही सर चढ़ाई थी सो अब चक्खो मज़ा
मैं न कहता था कि दुनिया दर्द-ए-सर हो जाएगी

तल्ख़ियाँ भी लाज़मी हैं ज़िंदगी के वास्ते
इतना मीठा बन के मत रहिए शकर हो जाएगी। 

राहत Indori 

No comments: