अधूरी नींद का, ख़्वाब अधूरा..
मुहब्बत में हर, ज़वाब अधूरा..।
आसमां में है, कोई जंग छिड़ी..
फिर निकला, महताब अधूरा..।
चमन में हुई है, ये साजिश कैसी..
जो भी खिला, वो गुलाब अधूरा..।
जैसा सोचा, वैसा कुछ ना बदला..
इसका मतलब, था इंक़लाब अधूरा..।
वो जो सुन लेते, दिल का अफसाना..
आंखों में न रहता, ये सैलाब अधूरा..।
वो जा ना सके थे, उस मोड़ से आगे..
इस मोड़ पर था, कोई हिसाब अधूरा..
अबके बहारें गुज़री थी, सर झुकाए हुए..
चेहरा बुझा हुआ, और था शबाब अधूरा..।
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