Saturday, April 29, 2023

फिर सर किसी के दर पे झुकाए हुए हैं हम

फिर सर किसी के दर पे झुकाए हुए हैं हम

पर्दे फिर आसमाँ के उठाए हुए हैं हम 

छाई हुई है इश्क़ की फिर दिल पे बे-ख़ुदी 
फिर ज़िंदगी को होश में लाए हुए हैं हम 

जिस का हर एक जुज़्व है इक्सीर-ए-ज़िंदगी 
फिर ख़ाक में वो जिंस मिलाए हुए हैं हम 

हाँ कौन पूछता है ख़ुशी का नहुफ़्ता राज़ 
फिर ग़म का बार दिल पे उठाए हुए हैं हम 

हाँ कौन दर्स-ए-इश्क़-ए-जुनूँ का है ख़्वास्त-गार 
आए कि हर सबक़ को भुलाए हुए हैं हम 

आए जिसे हो जादा-ए-रिफ़अत की आरज़ू 
फिर सर किसी के दर पे झुकाए हुए हैं हम 

बैअत को आए जिस को हो तहक़ीक़ का ख़याल 
कौन-ओ-मकाँ के राज़ को पाए हुए हैं हम 

हस्ती के दाम-ए-सख़्त से उकता गया है कौन 
कह दो कि फिर गिरफ़्त में आए हुए हैं हम 

हाँ किस के पा-ए-दिल में है ज़ंजीर-ए-आब-ओ-गिल 
कह दो कि दाम-ए-ज़ुल्फ़ में आए हुए हैं हम 

हाँ किस को जुस्तुजू है नसीम-ए-फ़राग़ की 
आसूदगी को आग लगाए हुए हैं हम 

हाँ किस को सैर-ए-अर्ज़-ओ-समा का है इश्तियाक़ 
धूनी फिर उस गली में रमाए हुए हैं हम 

जिस पर निसार कौन-ओ-मकाँ की हक़ीक़तें 
फिर 'जोश' उस फ़रेब में आए हुए हैं हम

Josh Malihabadi

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