Monday, January 30, 2023

ज़िन्दगी अब क़रीब आ रही है |

नींद मुझको नहीं आ रही है
रात कैसी सितम ढा रही है | 

दर्द में छोड़ो पन्द ओ नसीहत 
बात कोई नहीं भा रही है | 

ज़ुल्फ़ से रुख़ छुपा जा रहा है 
जैसे काली घटा छा रही है | 

क्या निज़ाम ए चमन अब है बदला 
ख़ुशबू बाद ए ख़िजां ला रही है | 

फ़ायदे के लिए क़ायदे की 
बात दिल से निकल जा रही है | 

बेवफ़ाई से साकित हुआ हूं 
नब्ज़ ए ग़म सिर्फ़ चल पा रही है | 

"ख़ुशियों से मर ही न जाना 
ज़िन्दगी अब क़रीब आ रही है | 

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