Monday, January 23, 2023

जीवन में हमेशा तेरी कमी है


कल का लिखूं आज मैं 
ये तम्मना मुद्दतों से है 
तेरे ना होने से मेरी ज़िन्दगी में 
बस इतनी कमी सी हे 
मैं चाहे लाख मुस्कुरालूं 
इन आखों में आज भी नमी सी है 
जो पानी आँख से छलक जाता है 
उस पानी को क्या कहा जाएगा 
जो हम तुम से ना कह सके 
उसको मन से चाहा प्यार कहा जाएगा 
वक़्त की हकीक़त को समझना था 
वो हमने समझने लिया 
जो लिखना था कल 
वो हमने आज लिख लिया 
तुझ जैसा मिलेगा कोई 
ये हमने कैसे सोच लिया 
गुमनाम है तू 
आज भी बेवजह बदनाम मैं हूँ 
काफी सालों से तेरे लिए तन्हां हूँ परेशान हूँ 
काबिल हूँ तेरे ये बताने के लिए सबूत ढूंढ रहा हूँ 
तेरे सामने आकर भी अपना वजूद ढूंढ रहा हूँ 
होठों पर मुस्कान तो है 
पर पूरी हसीं तो नही है 
मैं चाहे लाख मुस्कुरालूं 
जीवन में हमेशा तेरी कमी है 
कल का लिखूं आज मैं 
ये तम्मना मुद्दतों से है |

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