ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है
कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है कहीं जान-लेवा अज़ाब है
- राजेश रेड्डी
इधर उधर से किताब देखूँ
ख़याल सोचूँ कि ख़्वाब देखूँ
- सलीम मुहीउद्दीन
थोड़ी सी मिट्टी की और दो बूँद पानी की किताब
हो अगर बस में तो लिखें ज़िंदगानी की किताब
- मुनीर अनवर
कभी आँखें किताब में गुम हैं
कभी गुम हैं किताब आँखों में
- मोहम्मद अल्वी
खुली किताब थी फूलों-भरी ज़मीं मेरी
किताब मेरी थी रंग-ए-किताब उस का था
- वज़ीर आग़ा
किताब खोल के देखूँ तो आँख रोती है
वरक़ वरक़ तिरा चेहरा दिखाई देता है
- अहमद अक़ील रूबी
कौन पढ़ता है यहाँ खोल के अब दिल की किताब
अब तो चेहरे को ही अख़बार किया जाना है
- राजेश रेड्डी
लम्हे लम्हे से बनी है ये ज़माने की किताब
नुक़्ता नुक़्ता यहाँ सदियों का सफ़र लगता है
- मुईद रशीदी
काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के
दीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया
- बशीर बद्र
मैं तो था मौजूद किताब के लफ़्ज़ों में
वो ही शायद मुझ को पढ़ना भूल गया
- कृष्ण कुमार तूर
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