Sunday, April 24, 2022

किताब शायरी

​ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है

कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है कहीं जान-लेवा अज़ाब है

- राजेश रेड्डी 



इधर उधर से किताब देखूँ

ख़याल सोचूँ कि ख़्वाब देखूँ

- सलीम मुहीउद्दीन 


थोड़ी सी मिट्टी की और दो बूँद पानी की किताब

हो अगर बस में तो लिखें ज़िंदगानी की किताब

- मुनीर अनवर 



कभी आँखें किताब में गुम हैं

कभी गुम हैं किताब आँखों में

- मोहम्मद अल्वी 

खुली किताब थी फूलों-भरी ज़मीं मेरी

किताब मेरी थी रंग-ए-किताब उस का था

- वज़ीर आग़ा 



किताब खोल के देखूँ तो आँख रोती है

वरक़ वरक़ तिरा चेहरा दिखाई देता है

- अहमद अक़ील रूबी 

कौन पढ़ता है यहाँ खोल के अब दिल की किताब

अब तो चेहरे को ही अख़बार किया जाना है

- राजेश रेड्डी 



लम्हे लम्हे से बनी है ये ज़माने की किताब

नुक़्ता नुक़्ता यहाँ सदियों का सफ़र लगता है

- मुईद रशीदी 

काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के

दीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया

- बशीर बद्र 



मैं तो था मौजूद किताब के लफ़्ज़ों में

वो ही शायद मुझ को पढ़ना भूल गया

- कृष्ण कुमार तूर

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