वो जो हम में तुम में क़रार था, तुम्हें याद हो के न याद हो
वही वादा यानि निबाह का, तुम्हें याद हो के न याद हो !
जिसे आप गिनते थे आशना, जिसे आप कहते थे बावफ़ा
मैं वही हूँ मोमिन-ए-मुब्तला, तुम्हें याद हो के न याद हो !
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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