फूलों भरा सदा मिरी बहना का घर रहे
- अज्ञात
बहन की इल्तिजा मां की मोहब्बत साथ चलती है
वफ़ा-ए-दोस्तां बहर-ए-मशक़्कत साथ चलती है
- सय्यद ज़मीर जाफ़री
जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है
मां दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
- मुनव्वर राना
घर लौट के रोएंगे मां बाप अकेले में
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में
- क़ैसर-उल जाफ़री
इन का उठना नहीं है हश्र से कम
घर की दीवार बाप का साया
- अज्ञात
उन के होने से बख़्त होते हैं
बाप घर के दरख़्त होते हैं
- अज्ञात
मैं अपने बचपने में छू न पाया जिन खिलौनों को
उन्ही के वास्ते अब मेरा बेटा भी मचलता है
- तनवीर सिप्रा
बेटा बेटी फ़ोन पर अक्सर बताते हैं मुझे
वक़्त मिलता ही नहीं है गांव आने के लिए
- शिवकुमार बिलग्रामी
तुम मेरे इस दिल को पागल मत कहना
अपना बच्चा सब को प्यारा होता है
- सचिन शालिनी
मैं ने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग
अपने बच्चे के खिलौने को बचाने के लिए
- शकील जमाली
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