Monday, December 9, 2019

रोने से कुछ भी नहीं हासिल ऐ दिल-ऐ-सौदाई

रोने से कुछ भी नहीं हासिल ऐ दिल-ऐ-सौदाई,
दामन की भी तबाही, आँखों की भी रुसवाई! 
हम लोग समुन्दर के बिछड़े हुए साहिल है, 
इस तरफ भी तन्हाई, उस तरफ भी तन्हाई!! 

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