Saturday, December 14, 2019

रूख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

~ निदा फ़ाज़ली

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