Sunday, November 17, 2019

इस शहर-ए-ख़मोशाँ में सदा दें तो किसे दें,

पत्थर हैं सभी लोग , करें बात तो किस से, 
इस शहर-ए-ख़मोशाँ में सदा दें तो किसे दें, 

है कौन कि जो ख़ुद को ही जलता हुआ देखे, 
सब हाथ हैं काग़ज़ , के दिया दें तो किसे दें! 

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