Friday, November 8, 2019

तीर शायरी

  
इक परिंदा अभी उड़ान में है 
तीर हर शख़्स की कमान में है 
- अमीर क़ज़लबाश

कब निकलता है अब जिगर से तीर 
ये भी क्या तेरी आश्नाई है 
- दाग़ देहलवी

मोहब्बत तीर है और तीर बातिन छेद देता है 
मगर निय्यत ग़लत हो तो निशाने पर नहीं लगता 
- अहमद कमाल परवाज़ी

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