Tuesday, October 8, 2019

कि फिर आ भी न सकूं

उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूं,
ढूंढने उसको चला हूं जिसे पा भी न सकूं!

मेहरबां होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त,
मैं गया वक़्त नहीं हूं कि फिर आ भी न सकूं!

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