आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मोहब्बत में दिखावे की दोस्ती न मिला। अगर गले न मिल सको तो हाथ भी न मिला। - बशीर बद्र
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