आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
बुलन्दी की उड़ान पर हो तो ज़रा सब्र रखना, परिंदे बताते है कि आसमान में ठिकाने नही होते!
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