सोचता हूँ क्या उसे नींद आती होगी,
या मेरी तरह सिर्फ़ अश्क बहाती होगी।
वो मेरी शक्ल, मेरा नाम भुलाने वाली,
अपनी तस्वीर से क्या आँख मिलाती होगी..
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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