Thursday, May 9, 2024

एक ही विषय पर 6 शायरों का अलग नजरिया (शराब, मय)

एक ही विषय पर 6 शायरों का अलग नजरिया*  


1- *Mirza Ghalib*: 1797-1869


*"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,*

*या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"*


....... इसका जवाब लगभग 100 साल बाद मोहम्मद इकबाल ने दिया...... 


2- *Iqbal*: 1877-1938


*"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,*

*काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"*


....... इसका जवाब फिर लगभग 70 साल बाद अहमद फराज़ ने दिया...... 


3- *Ahmad Faraz*: 1931-2008


*"काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर,*

*खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं।"*


....... इसका जवाब सालों बाद वसी ने दिया...... 


4- *Wasi*:1976-present


*"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,*

*तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं।"*


वसी साहब की शायरी का जवाब साकी ने दिया 


5- *Saqi*: 1986-present


*"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,*

*जन्नत में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नही।"*


2024 में हमारे एक शराबी मित्र के हिसाब से - 


*"ला भाई दारू पिला, बकवास न यूँ बांचो,*

*जहाँ मर्ज़ी वही पिएंगे, भाड़ में जाएँ ये पांचों"*


😂🤣😂😜

🥃🥃🥃🥃

1 comment:

Anonymous said...

😂😂😂😂😂