कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं.
- जिगर मुरादाबादी
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी,.
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
- बशीर बद्र
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे,
मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले.
- सालिम सलीम
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का,
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे.
- जौन एलिया
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे,
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे.
- क़ैसर-उल जाफ़री
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना,
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है.
- बशीर बद्र
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