Sunday, February 28, 2021

यूँ तो वो हर किसी से मिलती है

यूँ तो वो हर किसी से मिलती है 
हम से अपनी ख़ुशी से मिलती है 

सेज महकी बदन से शर्मा कर 
ये अदा भी उसी से मिलती है 

वो अभी फूल से नहीं मिलती 
जूहिए की कली से मिलती है 

दिन को ये रख-रखाव वाली शक्ल 
शब को दीवानगी से मिलती है 

आज-कल आप की ख़बर हम को! 
ग़ैर की दोस्ती से मिलती है 

शैख़-साहिब को रोज़ की रोटी 
रात भर की बदी से मिलती है 

आगे आगे जुनून भी होगा ! 
शेर में लौ अभी से मिलती है 

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