Sunday, January 5, 2020

मैं एक फूल हूँ वो मुझको रख के भूल गया

हर एक शब् मेरी ताज़ा अज़ाब में गुजरी 
तुम्हारे बाद तुम्हारे ही ख्वाब में गुजरी 
मैं एक फूल हूँ वो मुझको रख के भूल गया 
तमाम उम्र उसी की किताब में गुजरी

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