अजीब सी कशिश हैं तुम में;
कि हम तुम्हारे ख्यालों में खोये रहते है;
ये सोचकर कि तुम ख्यालों में आओगे;
हम दिन रात बस सोए रहते है।
कि हम तुम्हारे ख्यालों में खोये रहते है;
ये सोचकर कि तुम ख्यालों में आओगे;
हम दिन रात बस सोए रहते है।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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