तकदीर में लिखा है और क्या कहूँ
इतना दर्द सह लिया है और कितना सहूँ,
मेरी आवाज सुन मेरी फरियाद सुन
अब तुमसे दूर कैसे रहूँ।
सोचो समझो और जानो तुम
मैं तेरा हूँ मुझे अपना मानो तुम,
पुरानी बातों को तुम छोड़ दो
रुकावट की जंजीरों को तुम तोड़ दो
मुझे नही पता क्या होगा कल
फिर आज कैसे कहूँ ।
तस्वीर तेरी जो थी वो खो गयी
धीरे - धीरे तेरी यादें मुझसे दूर हो गयी
तुमको न देखूँ तो ऐसा लगता है
जैसे आंखों की धूमिल हो गयी
ऐसा नहीं कि कुछ न कहूँ पर
तुम बिन कुछ कैसे कहूँ।
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