तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूं अगर बुरा न लगे
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ मुझे
तुम्हें भुलाने में शायद मुझे जमाना लगे
जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो
कि आसपास की लहरों को भी पता न लगे.
कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे
तूने आंखों से कोई बात कही हो जैसे
हर मुलाकात पे महसूस यही होता है
मुझसे कुछ तेरी नजर पूछ रही हो जैसे
एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफर
जिंदगी तेज बहुत तेज चली हो जैसे
इस तरह पहरों तुझे सोचता रहता हूं मैं
मेरी हर सांस तेरे नाम लिखी हो जैसे.
सुना है लोग उसे आंख भर के देखते हैं
सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात करके देखते हैं
सुना है दिन को उसे तितलियां सताती हैं
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं.
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाते होंगे
वो जो न आने वाला है ना उससे मुझको मतलब था
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे
यारो कुछ तो जिक्र करो तुम उसकी कयामत बांहों का
वो जो सिमटते होंगे उनमें वो तो मर जाते होंगे.
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क तुम्हें हो जाएगा
हर बात गवारा कर लोगे मिन्नत भी उतारा कर लोगे
तावीजें भी बंधवाओगे जब इश्क तुम्हें हो जाएगा
जब सूरज भी खो जाएगा और चांद कहीं सो जाएगा
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क तुम्हें हो जाएगा.