आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
इत्र से कपड़ों को महकाना कोई बड़ी बात नहीं, मज़ा तो तब है जब तुम्हारे किरदार से खुशबू निकले!
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