किस रावण की काटूंँ बाहें,
किस लंका को आग लगाऊँ!
घर घर रावण, पग पग लंका,
इतने राम कहाँ से लाऊँ!!
Saturday, September 30, 2017
इतने राम
Monday, September 25, 2017
शायरी की जुबांँ
जमने दो आज शाम ए महफ़िल,
चलो आज शायरी की जुबां मे बहते हैं.
तुम उठा लाओ ग़ालिब की किताब,
हम अपना *हाल-ए-दिल* कहते हैं !
Sunday, September 24, 2017
शाम
कोई शाम आती है, तुम्हारी याद लेकर,
कोई शाम आती है, तुम्हारी याद देकर.
हमे तो इंतजार है, उस शाम का,
जो आये तुम्हे साथ लेकर!
Saturday, September 9, 2017
गुनाह है
"ख्वाबों का रंगीन होना गुनाह है..
इंसान का जहीन होना गुनाह है..
कायरता समझते हैं लोग मधुरता को..
जुबान का शालीन होना गुनाह है..
खुद की ही लग जाती है नजर..
हसरतों का हसीन होना गुनाह है..
लोग इस्तेमाल करते हैं नमक की तरह..
आंसुओं का नमकीन होना गुनाह है..
दुश्मनी हो जाती है मुफ्त में सैंकड़ों से..
इंसान का बेहतरीन होना गुनाह है.."
Friday, September 1, 2017
तेरी याद ही सही
दिलशाद अगर नहीं तो नाशाद सही,
लब पर नग़मा नहीं तो फ़रियाद सही।
हमसे दामन छुडा़ के जाने वाले,
जा- जा गर तू नहीं तेरी याद सही!
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