लहरों को शांत देखकर ये मत समझना,
कि लहरों में रवानी नहीं..
हम जब भी उठे;तूफ़ान बन कर उठेंगे,
कि अभी हमने उठने की ठानी नहीं..
कि लहरों में रवानी नहीं..
हम जब भी उठे;तूफ़ान बन कर उठेंगे,
कि अभी हमने उठने की ठानी नहीं..
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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