कुछ अपना होश न तुम्हारा ख्याल कभी,
यूँ ही गुजर गयी ज़िंदगी कभी कभी।
ऐ दोस्त हमने दर्दे मोहब्बत के बावजूद,
महसूस की है तेरी जरूरत कभी कभी।।
Saturday, April 14, 2012
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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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