Saturday, April 14, 2012

रक्स

अब तो करम का हाथ बढ़ा दे ऐ अजीज़,

बड़ी मुद्दत हुई तेरे दर पे खड़े हुए।

तिनके तो रक्स करतें हैं तूफान की गोद में,

दरिया में डूबतें हैं सफीने भड़े हुए॥

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