ये मर्ज़-ए-इश्क़ तो जान के साथ ही जाएगा।
अहवाल क्या बयाँ मैं करूँ हाए ऐ #तबीब
है दर्द उस जगह कि जहाँ का नहीं इलाज
साये कज़ा के जब बहुत करीब आ गए
दीवार बन के दर्मियाँ तबीब* आ गए
घर जब बना रहा था दिलों में वबा का ख़ौफ़
बन कर मसीहा कितने ही हबीब आ गए
तदबीर मेरे इश्क़ की क्या फ़ाएदा तबीब
अब जान ही के साथ ये आज़ार जाएगा
~ मीर तक़ी मीर
तबीब- डॉक्टर
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