अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ,
तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ.
थक गया हूँ याद करते करते तुम्हें,
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ..
तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ.
थक गया हूँ याद करते करते तुम्हें,
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ..
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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