Wednesday, September 4, 2013

क्या बना बैठे...

क्या बनाने आए थे, क्या बना बैठे...
कहीं मन्दिर बना बैठे, कहीं मस्जिद बना बैठे..
हम से अच्छी तो जात है परिंदों की...
कभी मन्दिर पे जा बैठे, कभी मस्जिद पे जा बैठे...

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