Saturday, January 12, 2013

आज

आज की रात मेरा दर्द मोहब्बत सुन ले;
कप कपाते हुए होंठों की शिकायत सुन ले;
आज इज़हारे ख़यालात का मौका दे दे;
हम तेरे शहर में आये हैं, मुसाफिर की तरह!

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