Friday, August 10, 2012

विश्वास

विश्वास बनके लोग जिन्दगी में आतें हैं,
ख्वाब  बनके  आँखों  में  समा  जातें  हैं.
पहले  यकीन दिलातें हैं कि  वो हमारे हैं,
फिर   न   जाने   क्यों   बदल   जातें  हैं..

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