Friday, July 2, 2021

ये मर्ज़-ए-इश्क़ तो जान के साथ ही जाएगा

ज़ख्म-ए-दिल का इलाज़ कैसे मुमकिन है तबीब
ये मर्ज़-ए-इश्क़ तो जान के साथ ही जाएगा।


अहवाल क्या बयाँ मैं करूँ हाए ऐ #तबीब 
है दर्द उस जगह कि जहाँ का नहीं इलाज

साये कज़ा के जब बहुत करीब आ गए
दीवार बन के दर्मियाँ तबीब* आ गए
घर जब बना रहा था दिलों में वबा का ख़ौफ़
बन कर मसीहा कितने ही हबीब आ गए

तदबीर मेरे इश्क़ की क्या फ़ाएदा तबीब
अब जान ही के साथ ये आज़ार जाएगा
~ मीर तक़ी मीर

तबीब- डॉक्टर 

Thursday, July 1, 2021

बस इसी का नाम जिंदगी है

कुछ दबी हुई ख्वाहिशें हैंकुछ मंद मुस्कुराहटें,

कुछ खोये हुए सपने हैंकुछ अनसुनी आहटें.

 

कुछ सुकून भरी यादें हैकुछ दर्द भरे लम्हात,

कुछ थमें हुए तूफाँ हैकुछ मद्धम सी बरसात.

 

कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ हैंकुछ नासमझ इशारे,

कुछ ऐसे मझधार हैंजिनके मिलते नहीं किनारे.

 

कुछ उलझने हैं राहों मेंकुछ कोशिशें बेहिसाब.

बस इसी का नाम जिंदगी हैचलते रहिये जनाब!