आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
ख़ुशियों का सूरज चमकाकर अंधियारों का ज़ोर घटाओ, दिल के अन्दर जो रावण है उस रावण में आग लगाओ!
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