आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
”राम होने में या रावण में है अंतर इतना, एक दुनिया को खुशी दूसरा गम देता है ! हम ने रावण को बरस दर बरस जलाया है, कौन है वो जो इसे फिर से जनम देता है..?
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