आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मेरे ख़ुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे, मैं जिस मकान में रहता हूँ उस को घर कर दे!
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