आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
क्या पढोगी तुम मेरी मोहब्बत की किताब, यही की उसका हर किस्सा तेरे नाम का है!
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