आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तितलियां और जुगनू अंजान ही रहे, मेरी कहानी सिर्फ दीमकों ने पढ़ी है!
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