हम को तो खैर पहुंचना था जहाँ तक पहुँचे,
जो हमें रोक रहे थे, वो कहाँ तक पहुँचे ।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
हम को तो खैर पहुंचना था जहाँ तक पहुँचे,
जो हमें रोक रहे थे, वो कहाँ तक पहुँचे ।
बहारें आएँगी, होंठों पे फूल खिलेंगे
सितारों को मालूम था, हम दोनों मिलेंगे
सितारों को मालूम था छिटकेगी चाँदनी,
सजेगा साज प्यार का बजेगी पैंजनी
बसोगे मन में तुम तो मन के तार बजेंगे
सितारों को मालूम था, हम दोनों मिलेंगे
मिला के नैन हम-तुम दो से एक हो गए
अजी हम तुम पे पलकें उठाते ही खो गए
नैना झुकायेंगे, जिया निछावर करेंगे
सितारों को मालूम था, हम दोनों मिलेंगे
कली जैसा कच्चा मन कहीं तोड़ न देना
बहारों के जाने पे कहीं छोड़ ना देना
बिछड़ने से पहले हम अपनी जान दे देंगे
सितारों को मालूम था, हम दोनों मिलेंगे
गोपाल सिंह नेपाली
तुझसे लगी हुई मेरी एक आस है
तेरे गुमशुदा प्यार की तलाश है
जुदा होते ही थोड़ा भी सुकून ना मिला
जबकि तेरी यादें मेरे आस पास हैं