आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
थोड़ी सी आवारगी भी जरूरी है जिंदगी में,
कैद में रह कर अक्सर परिंदे उड़ना भूल जाते है !
No comments:
Post a Comment